वीडियो में नजर आ रही मैथिली साधारण लड़की नहीं है. वो 18 साल की उम्र में अब तक पांच सौ से ज्यादा लाइव शो और रियलिटी शो “राइजिंग स्टार” के पहले सीजन की रनर अप रह चुकीं हैं. मैथली अपने दो भाइयों से बड़ी हैं. वो गाती हैं. मैथिली के मझले भाई ऋषभ ठाकुर को तबले पर थाप देना पसंद है.

शाम के करीब सात बज रहे हैं. हम दिल्ली में ठाकुर परिवार के द्वारका स्थित घर पर हैं. इस परिवार के तीन बच्चे आजकल अपने काम की वजह से इंटरनेट पर सनसनी बने हुए हैं. उनके कई वीडियो वायरल हो रहे हैं. वीडियो में नजर आने वाले बच्चों का नाम मैथिली, अयाची और ऋषभ ठाकुर है. तीनों बच्चों का हुनर इंटरनेट पर छाया हुआ है. इसे देखकर आप भी कहेंगे कि वाकई ये साधारण बच्चे नहीं हैं.

हम जिनकी बात कर रहे हैं उन बच्चों का म्यूजिक वीडियो खूब पसंद किया जा रहा है. वीडियो एक मोबाइल के साधारण सेल्फी कैमरे से बनाया गया है. इसे अब तक लाखों लोगों ने इंटरनेट पर देखा है. अब लोग इनके बारे में ज्यादा से ज्यादा देखना, सुनना और जानना चाहते हैं. देश-दुनिया से मिल रही तारीफ से ठाकुर परिवार गदगद है. अचानक मिली शोहरत की वजह से विनम्र ठाकुर परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है.

लेकिन साधारण नहीं हैं मैथिली

वीडियो में नजर आ रही मैथिली साधारण लड़की नहीं है. वो 18 साल की उम्र में अब तक पांच सौ से ज्यादा लाइव शो और रियलिटी शो “राइजिंग स्टार” के पहले सीजन की रनर अप रह चुकीं हैं. मैथली अपने दो भाइयों से बड़ी हैं. वो गाती हैं. मैथिली के मझले भाई ऋषभ ठाकुर को तबले पर थाप देना पसंद है. अब बारी है परिवार के सबसे छोटे सदस्य अयाची ठाकुर की. अगर आपने वायरल वीडियो देखा होगा तो मैथिली और ऋषभ के बगल में बैठकर ताली बजने वाला बच्चा कोई और नहीं अयाची ही हैं. अयाची खुद भी बहुत अच्छा गाते हैं. अपनी उम्र के हिसाब से अयाची का गायन आपको हैरान कर सकता है. अयाची का कहना है कि वो कुछ अलग करेंगे. अलग गाएंगे. और अलग बजाएंगे.

तीनों बच्च्चों का हुनर जिस तरह नजर आया और लोगों ने तारीफ़ की उसके पीछे भी दो शख्स हैं. इन्हीं की वजह से बच्चे इतना अच्छा गाते-बजाते हैं. ये दो इन्हीं नायाब बच्चों के माता-पिता हैं. पिता रमेश ठाकुर इन तीनों के गुरु हैं, दोस्त हैं और परिवार के मुखिया तो हैं ही.

बिहार के मधुबनी में जन्मे और वहीं अपने बाप-दादाओं से गीत-संगीत सीखने वाले रमेश ठाकुर बीस साल पहले दिल्ली आए थे. दिल्ली आने पर उन्हें अंदाजा हुआ कि ये तो बिल्कुल अलग दुनिया है. शुरूआती दिनों के संघर्ष को याद कर रमेश बताते हैं, “काम-काज की तलाश में दिल्ली आए थे. तब शादी भी नहीं हुई थी. यहां पहुंचे तो पता चला कि दिल्ली तो एक अलग दुनिया है. न रहने का ठिकाना, न पीने का साफ पानी. किसी तरह पैर जमाए.”

रमेश ने बताया, “दिल्ली आने के बाद शादी हुई. फिर बच्चे हुए. पारिवारिक दिक्कतें भी शुरू हुईं. लेकिन इन्हीं बच्चों की वजह से जीने का नया मकसद भी मिला. दिल्ली में ही बच्चों को रखकर संगीत सिखाना शुरू किया. जीवन यूं ही चल रहा है.”

रमेश आगे बताते हैं, “मैंने जो अपने पिता से सीखा था वो सब इन तीनों को बताने-सिखाने में लगा हूं. बच्चे मेहनती हैं और एक अच्छे प्रशिक्षु की तरह मेरी कही गई बातों को मानते हैं. मेरे जीवन की परेशानियों को बच्चों ने अपनी मेहनत से अवसर में बदल दिया.”

वायरल वीडियो में आपने रमेश ठाकुर को तीनों के पीछे झाल और ढोल बजाते देखा होगा. असल में वो इनकी यात्रा में सारथी की भुमिका में हैं. जो यात्रा करने वालों को सही राह दिखाता है. कमज़ोर पड़ने पर मनोबल बढ़ाता है और हमेशा साथ रहकर यात्रा करने वालों के रास्ते में आने वाले हर मुश्किल से लड़ता है. रमेश ठाकुर ने घर में संगीत की शिक्षा पाई, अब वो इसे अपनी अगली पीढ़ी को दे रहे हैं. हुनरमंद बच्चे इसे नया रंग दे ही रहे हैं.

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