नई दिल्ली,भारतीय टेस्ट टीम के युवा ओपनर बल्लेबाज पृथ्वी शॉ बेहद टैलेंटेड हैं और उन्हें जितना भी मौका मिला है उन्होंने खुद को साबित किया है। पृथ्वी शॉ को लेकर टीम इंडिया के पूर्व टेस्ट ओपनर बल्लेबाज का कहना है कि सिर्फ 19 साल की उम्र में उनकी तुलना लोग सचिन के साथ क्यों करने लगेंगे। वो एक गिफ्टेड क्रिकेटर हैं। आने वाले वक्त में उनमें भारत के महान क्रिकेटर बनने से सभी गुण उनमें मौजूद हैं। हालांकि उन्हें अपनी कुछ चीजों को ठीक करने की जरूरत है।
पृथ्वी शॉ ने अक्टूबर 2018 में वेस्टइंडीज के खिलाफ 134 रन बनाए थे और अपने डेब्यू टेस्ट मैच में शतकीय पारी खेलने वाले वो भारत के 15वें बल्लेबाज बने थे। वसीम जाफर ने कहा कि वो जिस तरह से शॉट खेलते हैं उसे देखकर मुझे भारतीय टीम के ओपनर बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग की याद आती है। सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट में अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के जरिए ओपनिंग की बल्लेबाजी की परिभाषा ही बदल दी थी। वहीं वसीम जाफर ने ये भी बताया कि पृथ्वी शॉ को किस जगह पर अपने खेल में सुधार करने की जरूरत है।
यूट्यूब चैनल पर आकाश चोपड़ा के साथ बात करते हुए वसीम जाफर ने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि वो एक स्पेशल खिलाड़ी हैं। वो जिस तरह से शॉट लगाते हैं उसे देखकर मुझे लगता है कि उनमें वीरेंद्र सहवाग वाली खासियत है। वो किसी भी टीम की गेंदबाजी आक्रमण को पूरी तरह से ध्वस्त कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा, ”लेकिन कहीं न कहीं मुझे लगता है कि उन्हें अपने खेल को बेहतर तरीके से समझने की जरूरत है, जहां उन्हें बैकसीट पर जाने की जरूरत है। मुझे लगता है कि उन्हें न्यूजीलैंड में थोड़ा पता चला होगा। वह शॉर्ट डिलिवरी पर दो बार आउट हुए। वह कीवी गेंदबाजों के जाल में फंस गए।”
भारत के 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर एक अभ्यास मैच के दौरान उनके टखने में चोट लग गई थी, जिसके बाद उन्हें इस दौरे से हटना पड़ा था। इसके कुछ वक्त बात पृथ्वी शॉ गलत वजहों से खबरों में थे। उनकी अनुशासनहीनता की खबरें मीडिया में आ रही थीं। हद तो यह थी कि बीसीसीआइ ने सचिन तेंदुलकर को पृथ्वी शॉ के साथ मिलने और युवा को अनुशासन का महत्व समझाने का आग्रह किया था।
डोपिंग टेस्ट में फेल होने और बैन के बाद पृथ्वी शॉ ने न्यूजीलैंड दौरे पर भारतीय टीम में वापसी की। उन्होंने क्राइस्टचर्च में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में अर्धशतक जड़ा, लेकिन कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए। जाफर को लगता है कि पृथ्वी शॉ को भारत के लिए एक बड़ा और अधिक सफल खिलाड़ी बनने के लिए खुद को नियंत्रित करने की जरूरत है। उन्हें फील्ड के बाहर भी अधिक अनुशासित होना पड़ेगा। उनमें इंटरनेशनल स्तर पर हिट होने के सारे गुण मौजूद हैं पर इसके लिए अनुशासन जरूरी है।