नई दिल्ली,। हिंदी सिनेमा में प्रेम कहानियों का फ़िल्मों का लम्बा इतिहास रहा है। मुग़ले-आज़म, देवदास और मैंने प्यार किया जैसी फ़िल्मों ने सिनेमा के अलग-अलग दौर में मोहब्बत की ऐतिहासिक दास्तां पर्दे पर लिखी है, मगर दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे में राज और सिमरन ने मोहब्बत की जो कहानी लिखी, उसका असर कभी मराठा मंदिर में 1000 हफ़्ते तक चलने वाले शो, तो कभी अमेरिकी राष्ट्रपति के भाषणों में ज़िक्र के रूप में दिखता रहा है।
…और अब, मोहब्बत की इस सुपर हिट कहानी के नायक-नायिका को एक मूर्ति की सूरत में ढालकर लंदन के मशहूर लीसेस्टर स्क्वायर चौराहे पर हमेशा के लिए अमर कर दिया जाएगा। किसी हिंदी फ़िल्म के लिए ऐसा पहली बार होगा। पिछली सदी के आख़िरी दशक के मध्य में आयी दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे के सफ़र की सिल्वर जुबली मनाने का इससे बेहतर तरीक़ा और क्या हो सकता है। आख़िर लंदन भी तो इस प्रेम कहानी का एक किरदार रहा है।
20 अक्टूबर 1995 को रिलीज़ हुई दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में राज बने शाह रुख़ ख़ान, सिमरन के किरदार में काजोल और बाबूजी के रोल में अमरीश पुरी आज तक यादों में उसी तरह रचे-बसे हैं, जैसे अपनी ही किसी जानने वाले की कहानी हो। फ़िल्म की कास्टिंग की कहानी भी उतनी ही रोचक है, जितनी राज और सिमरन की लव स्टोरी।
आदित्य चोपड़ा की डेब्यू फ़िल्म के लिए टॉम क्रूज़ थे पहली पसंद
हिंदी सिनेमा को रोमांस और रिश्तों के एक अलग स्तर पर ले जाने वाले निर्देशक यश चोपड़ा के बेटे आदित्य चोपड़ा अपनी डेब्यू फ़िल्म में हॉलीवुड सुपर स्टार टॉम क्रूज़ को मुख्य भूमिका में लेना चाहते थे। आदित्य का इरादा एक इंटरनेशनल लव स्टोरी बनाने का था, मगर पिता तैयार नहीं हुए, जो एक अप्रवासी भारतीय की प्रेम कहानी को पर्दे पर पेश करने के पक्ष में थे।
आख़िर, पिता का अनुभव आदित्य के जोश के सामने बड़ा साबित हुआ और देसी हीरो की खोज शुरू हुई। यश जी के निर्देशन में डर में काम कर चुके शाह रुख़ ख़ान को एप्रोच किया गया, मगर नेगेटिव रोल्स निभाकर सफलता का स्वाद चख चुके शाह रुख़ तब तक किंग ऑफ़ रोमांस बनने के लिए तैयार नहीं थे।
कहानी, सैफ़ अली ख़ान से होते हुए आमिर ख़ान के पास गयी, मगर दोनों ने निजी कारणों से इसे ठुकरा दिया। आख़िरकार, आदित्य चोपड़ा शाह रुख़ को मना लिया और इस तरह किंग ख़ान को वो रोल मिला, जिसने रोमांस के रास्ते पर उनके सफ़र को ज़ोरदार धक्का दिया। सिमरन के लिए काजोल पहली पसंद थीं और उन्होंने हां करने में देर भी नहीं लगायी।
मम्मी पामेला चोपड़ा ने भी गुनगुनाया था एक गीत
आनंद बख्शी के गीतों को जतिन ललित ने ऐसे सुरों मे ढाला कि 25 साल बाद भी फ़िल्म के गाने मोहब्बत करने वालों का एंथम बने हुए हैं। वैसे तो फ़िल्म के सारे गानों को लता मंगेशकर, आशा भोसले, कुमार शानू, उदित नारायण और अभिजीत भट्टाचार्य की आवाज़ों ने सजाया है, मगर एक गीत ‘घर आजा परदेसी’ को आदित्य चोपड़ा की मॉम पामेला चोपड़ा और मनप्रीत कौर ने आवाज़ दी।
सिनेमाघरों में हिंदी सिनेमा में शोले और मुग़ले-आज़म जैसी फ़िल्मों के रिकॉर्ड तोड़ने वाली दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे रिलीज़ के दो दशक बाद तक मुंबई के मराठा मंदिर में चलती रही। फ़िल्म ने दिसम्बर 2014 में 1000 हफ़्ते पूरे करने का रिकॉर्ड कायम कर लिया था और फरवरी 2015 में फ़िल्म को यह रिकॉर्ड बनाने का बाद उतार लिया गया था।
दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे सिर्फ़ 4 करोड़ की लागत से बनी थी, जबकि इसने घरेलू बॉक्स ऑफ़िस पर 89 करोड़ और विदेशों में 13.50 करोड़ की कमाई की थी। दुनियाभर में फ़िल्म ने 102.50 करोड़ जमा किये थे। अगर आज की मुद्रा मूल्य से इसे एडजस्ट किया जाए तो घरेलू बॉक्स ऑफ़िस पर 455 करोड़ और ओवरसीज़ में 69 करोड़ होता है।
बेस्ट एंटरटेनर के लिए मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे को 10 फ़िल्मफेयर अवार्ड्स मिले। Best Popular Film Providing Wholesome Entertainment के लिए फ़िल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। डीडीएलजे को ब्रिटिश फिल्म इंस्टीट्यूट की सूची में 11वे नंबर पर रखा गया है। मदर इंडिया और शोले के बाद रैंकिंग सूची मे इसका नंबर आता है।
अमेरिकी राष्ट्रपतियों से एक्टर्स तक की फेवरिट फ़िल्म
डीडीएलजे की देश-विदेश में लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी बात से लग जाता है कि अमेरिकी राष्टपति देश की जनता से वैचारिक गठजोड़ के लिए अपने भाषणों में इसका इस्तेमाल करते हैं। इसी साल फरवरी में जब डोनाल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर आयेतो उन्होंने अपने भाषण में बॉलीवुड का भी जिक्र किया।
उन्होंने अपने भाषण में कहा, ‘भारत हर साल 2 हजार फिल्में प्रोड्यूस करता है और यह क्रिएटिविटी दुनिया में बॉलीवुड के नाम से जानी जाती है।’ इसके बाद उन्होंने दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे का जिक्र किया। उन्होंने अपने भाषण में कहा, ‘पूरा प्लानेट भांगड़ा, रोमांस, ड्रामा और क्लासिकल इंडियन फ़िल्म जैसे कि डीडीएलजे को देखकर खुश होते हैं।
राष्ट्रपति बराक ओबामा जब भी भारत दौरे पर आए थे, तब उन्होंने भी ‘दिलवाले दुल्हानिया ले जाएंगे’ के नाम का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि हमें शाहरुख खान, मिल्खा सिंह, मैरीकॉम और कैलाश सत्यार्थी पर गर्व है। बड़े-बड़े देशों में छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं। आखिरी वाली लाइन डीडीएलजे फ़िल्म से हैं, जिसे शाह रुख़ ख़ान ने काजोल से बोला था।
हॉलीवुड एक्टर क्रिस हेम्सवर्थ का एक वीडियो कुछ महीनों पहले वायरल हुआ था। इस वीडियो में वह फ़िल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ की आइकॉनिक लाइन ‘बड़े-बड़े शहरों में छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं’ बोलते नज़र आये। यह वीडियो अक्टूबर, 2019 का है, जब वो नेटफ्लिक्स ओरिजिनल ढाका की शूटिंग कर रहे थे।